समय बदल गया है। आज के युवाओं को केवल एक क्षेत्र में एक्सपर्ट होने से सफलता के शिखर तक पहुंचना संभव नहीं हो पाएगा। उन्हें सफलता के आयाम स्थापित करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और इसके लिए केवल एक फील्ड में नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में एक्सपर्ट बनाना होगा। यह कहना था इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कस्तूरीरंगन का। वे जोधपुर की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के 13वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, एक शताब्दी में देश में साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने तेजी से विकास किया है। इस वजह से हर क्षेत्र में तेजी से डेवलपमेंट हुआ है। उन्होंने कहा कि लॉ के क्षेत्र में भी ऐसी कई चुनौतियां हैं, जिसका आज डिग्री पाने वाले स्टूडेंट्स को सामना करना पड़ेगा। अब व्यक्तिगत अधिकार व सोशियल अधिकार की परिभाषा के बीच भी आज के लॉ स्टूडेंट्स को सामंजस्य स्थापित करना होगा। उन्होंने कहा, जोधपुर आने में प्रसन्नता होती है, क्योंकि जोधपुर राजस्थान का सांस्कृतिक शहर है। यहां का आर्ट, हैरिटेज, लिटरेचर व सुंदर परिदृश्य अविस्मरणीय हैं। यह शहर उच्च स्तरीय बौद्धिक गतिविधियों के लिए भी खास पहचान रखता है।
डॉ. कस्तूरीरंगन ने कहा कि हमारा देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में दिलचस्प समय से गुजर रहा है। इस क्षेत्र में बहुत सारे उभरते हुए क्षेत्रों में रोमांचक अवसर प्राप्त होते हैं। उन्होंने इस मौके अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश की उपलब्धियों के बारे में भी अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि उन्हें अंतरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करने से रोमांच व रिसर्च की भावना आती है। अंतरिक्ष से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानून एक उदाहरण है। क्योंकि अंतरिक्ष की जरूरत तब पड़ी, जब रूस व अमेरिका की बीच सेना के आधिपत्य को लेकर प्रतिस्पर्धा चल रही थी। वे चाहते थे कि एक दूसरे के अंतरिक्ष के क्षेत्र में होने वाले कार्यों को देखने की छूट मिले। इस पर सहमति भी बनी और कानून बना कि अंतरिक्ष पर किसी का आधिपत्य नहीं होगा। यूएनओ के अधीन अंतरराष्ट्रीय कानून आया। जिसमें यह लिखा था कि सभी देश अपने आर्थिक व वैज्ञानिक विकास के लिए अंतरिक्ष के मामलों में स्वतंत्र होंगे। इस सहमति पर 100 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किए थे। जिसमें यह भी तय हुआ कि अंतरिक्ष में वे उपकरण जो मानवता का विनाश करते हैं, उन पर प्रतिबंध रहेगा। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून बन रहा था तो यह उम्मीद नहीं थी कि इसमें निजी एजेंसियों की भागीदारी नहीं होगी। आज की स्थिति में निजी क्षेत्र की भी भागीदारी हो चुकी है लेकिन जो निजी एजेंसी व सरकारी क्षेत्र में सामंजस्य नहीं है, जिसके लिए पॉलिसी की जरूरत है।
स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने स्टूडेंट्स को लीगल एजुकेशन के बदलते हुए परिपेक्ष्य के बारे में बताया। इससे पूर्व एनएलयू की कुलपति प्रो. पूनम सक्सेना ने स्टूडेंट्स व यूनिवर्सिटी के अचीवमेंट पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस व एनएलयू के कुलाधिपति जस्टिस इंद्रजीत महंति ने की। एनएलयू के रजिस्ट्रार सोहनलाल शर्मा ने बताया कि इस मौके कुल 207 डिग्रियां बांटी गई वहीं 22 मेधावी स्टूडेंट्स को गोल्ड मेडल दिए गए। इनमें 102 ग्रेजुएट स्टूडेंट्स, 104 पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स और 1 पीएचडी स्टूडेंट को डिग्री दी गई।